Letter written to Ma Yoga Sohan on 8 Jul 1965 in the evening. It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश
प्रिय सोहन,
आकाश बादलों से घिरा है, लेकिन वर्षा का कोई पता नहीं है। दो-तीन दिन से बहुत गर्मी है पर आज ठंडी हवायें आई हैं। शायद आसपास कहीं पानी पड़ रहा है। हवाओं को लेते बगिया में आ बैठा हूँ। उसी जगह बैठा हूँ,-- ठीक उसी जगह जहां तेरे साथ बैठता था। हवाओं ने कुछ बादल हटा दिये हैं और उनके झरोखों में स चांद दिखाई पड़ रहा है -- सोचता हूँ : कौन जाने, शायद तू भी इस चांद को देखती हो ?