Bhajgovindam Mudhmate (भजगोविन्दम् मूढ़मते)
- आदिशंकराचार्य के ‘भजगोविन्दम्’ के सूत्रों पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में ओशो द्वारा दिए गए दस प्रवचनों का संग्रह
- इस पुस्तक में आदि शंकराचार्य की अद्वितीय कृति ‘भज गोविन्दम्’ पर बोलते हुए, ओशो कहते हैं— "इस मधुर गीत का पहला पद शंकर ने तब लिखा, जब वे एक गांव से गुजरते थे, और उन्होंने एक बूढ़े आदमी को व्याकरण के सूत्र रटते देखा। उन्हें बड़ी दया आई... धर्म व्याकरण के सूत्र में नहीं है, वह तो परमात्मा के भजन में है। और भजन, जो तुम करते हो, उसमें नहीं है। जब भजन भी खो जाता है, जब तुम ही बचते हो... बिना कहे तुम भजन हो जाओ, तुम गीत ही हो जाओ, इस तरफ शंकर का इशारा है।"
- पुस्तक के मुख्य विषय-बिंदु:
- क्षण भंगुर के आकर्षण का कारण क्या है?
- प्रार्थना का मनोविज्ञान
- notes
- Spontaneous talks given in Pune on Adi Shankara's Bhaj Govindam. Translated into English as The Song of Ecstasy. See discussion for a TOC.
- time period of Osho's original talks/writings
- Nov 11, 1975 to Nov 20, 1975 : timeline
- number of discourses/chapters
- 10
editions
Bhajgovindam Mudhmate (भजगोविन्दम् मूढ़मते)आओ देखें लैद कर एक बार आदि शंकराचार्यकृत (Aao Dekhen Laid Kar Ek Bar Aadi Shankaracharyakrit)
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Bhajgovindam Mudhmate (भजगोविन्दम् मूढ़मते)आओ देखें लैद कर एक बार आदि शंकराचार्यकृत (Aao Dekhen Laid Kar Ek Bar Aadi Shankaracharyakrit)
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Bhajgovindam Mudhmate (भजगोविन्दम् मूढ़मते)आओ देखें लैद कर एक बार आदि शंकराचार्यकृत (Aao Dekhen Laid Kar Ek Bar Aadi Shankaracharyakrit)
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