Jin-Sutra, Bhag 1 (जिन-सूत्र, भाग एक) (4 volume set)
- महावीर क्या आए जीवन में
- हजारों-हजारों बहारें आ गईं
- महावीर गुरु नहीं हैं। महावीर कल्याणमित्र हैं। वे कहते हैं, मैं कुछ कहता हूं, उसे समझ लो; मेरे सहारे लेने की जरूरत नहीं है। मेरी शरण आने से तुम मुक्त न हो जाओगे। मेरी शरण आने से तो नया बंधन निर्मित होगा, क्योंकि दो बने रहेंगे। भक्त और भगवान बना रहेगा। शिष्य और गुरु बना रहेगा। नहीं, दो को तो मिटाना है। इसलिए महावीर ने भगवान शब्द का उपयोग ही नहीं किया। कहा कि भक्त ही भगवान हो जाता है। इसे समझना। विपरीत दिखाई पड़ते हुए भी ये बातें विपरीत नहीं हैं
- notes
- Talks given in Pune on Mahaveer.
- 4-volume set also published as 2-vol set. This book matches ch.1-16 of Jin-Sutra, Bhag 1 (जिन-सूत्र, भाग एक) (2). See
- time period of Osho's original talks/writings
- May 11, 1976 to May 26, 1976 : timeline
- number of discourses/chapters
- 16
editions
Jin-Sutra, Bhag 1 (जिन-सूत्र, भाग एक) (4 volume set)
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Jin-Sutra, Bhag 1 (जिन-सूत्र, भाग एक) (4 volume set)
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